FROM RAMLILA MAIDAN,16TH MARCH MORNING
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RCM News: दिल्ली में रामलीला मैदान पर 16 मार्च से प्रदर्शन
भीलवाड़ा । आरसीएम मल्टीलेवल मार्केटिंग कम्पनी के देश भर के एक करोड़ 31 लाख से ज्यादा सदस्यों वाली कम्पनी को चालू करने के लिए सदस्यों ने दिल्ली में रामलीला मैदान पर 16 मार्च से प्रदर्शन करने का फैसला किया वहीं फेस बुक पर उन्होंने जाग्रति अभियान भी छेड़ा रखा है। उधर,कम्पनी के सुप्रीमो त्रिलोकचंद छाबड़ा और उनके पुत्र पिछले एक माह से धोखाधड़ी और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत पुलिस अभिरक्षा में चल रहे हैं लेकिन अभी इस बात का खुलासा नहीं हो पाया कि गेहूं राशन का है भी या नहीं!
पिछले माह की 12 तारीख को जोधपुर में आरसीएम के संचालक त्रिलोक छाबड़ा, उनके भाई भागचंद और पुत्र सौरभ को पुलिस ने मांडल कस्बे के राजेन्द्र बिड़ला के साथ धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें हमीरगढ़ थाना पुलिस ने आरसीएम में मिले राशन के गेहंू के कट्टे और आटे के मामले में ईसी एक्ट के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। इसके बाद उन्हें तीन बार हमीरगढ़ पुलिस रिमाण्ड पर ले चुकी है लेकिन अभी इस बात का खुलासा नहीं हो पाया कि आरसीएम में मिला गेहूं राशन का है या नहीं! पुलिस का दावा है कि जांच पड़ताल में अब तक यही बात सामने आई कि यह गेहूं राशन का है।
लेकिन पूरी तरह से खुलासा नहीं हो पाया है। उधर आरसीएम के बन्द होने से देश भर के हजारों लोग बेरोजगार हो गये और वे फैक्ट्री को वापस चालू करने की मांग को लेकर आन्दोलन की राह पकड़ चुके हैं। जयपुर में बड़ा प्रदर्शन हो चुका है। जहां आरसीएम के संचालक पिता-पुत्र ने हमीरगढ़ थाने की हवालात में होली बिताई वहीं पुलिस कार्यवाही से खफा समर्थकों ने रंग नहीं खेला। अब समर्थक दिल्ली में प्रदर्शन की चेतावनी दे चुके हैं और राज्य सरकार के खिलाफ फेस बुक और अन्य स्तर पर मोर्चा खोलकर चेतावनी दे रहे हैं कि जिस तरह से हाल के चुनाव में कांगे्रस का हश्र हुआ है उसी तरह आने वाले प्रदेश के चुनाव में भी कांग्रेस की यही स्थिति होगी।
वहीं आरसीएम के संचालकों के खिलाफ अभी प्रदेश में कई और मामले दर्ज है और 12 मार्च को हमीरगढ़ पुलिस द्वारा न्यायालय में पेश करने पर उन्हें जमानत या जेसी मिलती है तो भी अन्य मामलों में उनकी गिरफ्तारी होगी और संभावना जताई जा रही है कि लम्बे समय तक आरसीएम संचालकों को थाने, जेल और कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे।
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Surender Vats जी का बार्ता,महा आन्दोलन के लिए तैयार हो जाये
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मल्टी लेवल मार्केटिंग कम्पनियों के समर्थन मैं उतरी बीजेपी
भीलवाड़ा। प्रदेश की कांग्रेस सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए अब नये हथकंडे आजमा रही है। इसी के तहत उसने मार्केटिंग कम्पनियों पर शिकंजा कसा है जो कानून सम्मत नहीं है। पुलिस राठौड़ी कर रही है और भाजपा इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
भाजपा जिलाध्यक्ष सुभाष बहेडिय़ा ने पहली बार सीधे पत्रकारों से मुखातिब होते हुए गहलोत सरकार के तीन सालों की खामियों को गिनाते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि जब छोटे स्तर पर अवैध काम होते है तब जिम्मेदार लोग सोये रहते है और जब गरीबों के पिसने का समय आता है तब वे जागते है। उन्होंने बिगड़ती कानून व्यवस्था, चर्चित सेक्स अफेयर और हत्याओं के मामले भी उठाये।
इस मौके पर विधायक वि_लशंकर अवस्थी ने खुलकर कहा कि राजनेताओं ने ऐसे अधिकारियों को जिम्मेदार पदों पर लगा रखा है जो लोगों की नहीं सुनते। विधायक ने कहा कि पानी के लिये उन्होंने अपना सारा बजट खर्च किया है। वही जिन्दल द्वारा शहर में विकास कार्य शुरू नहीं करने के मामले को फिर उठायेंगे। उन्होंने डालडा मिल के मामले को विधानसभा में उठाने की बात भी दोहराई। जबकि पूर्व मंत्री कालूलाल गुर्जर ने कांग्रेस सरकार को घेरते हुए उस पर कई गंभीर आरोप लगाए।
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RCM News: समर्थन मैं बिहार मैं रैली
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RCM के समर्थन में प्रदर्शन
सेंट्रल डेस्क
मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी आरसीएम बिजनेस के समर्थन में भीलवाड़ा में कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर्स ने प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने हाथों में तख्तियां ली हुईं थीं जिसमें लिखा था कि मल्टी लेवल मार्केटिंग और चिटफंड कारोबार में फर्क करो।
खबर यह भी आ रही है कि आरसीएम के समर्थन में आज कई डिस्ट्रीब्यूटर्स जयपुर में जुट रहे हैं। वे आरसीएम के खिलाफ हुई कार्रवाई को गलत बताते हुए आरसीएम को बहाल करने की मांग करेंगे।
वहीं दूसरी ओर एक मेल के जरिए अनिल सिंह ने बताया कि आरसीएम का बिजनेस अभी भी चल रहा है और किसी प्रकार की कोई रुकावट नहीं है। उन्होंने बताया कि हैदराबाद में श्री मुकेश कोठारी ने एक मीटिंग ली और सफलतापूर्वक आयोजित हुई।
वहीं दूसरी ओर एक मेल के जरिए अनिल सिंह ने बताया कि आरसीएम का बिजनेस अभी भी चल रहा है और किसी प्रकार की कोई रुकावट नहीं है। उन्होंने बताया कि हैदराबाद में श्री मुकेश कोठारी ने एक मीटिंग ली और सफलतापूर्वक आयोजित हुई।
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THURSDAY 12 JANUARY 2012
RCM News: बड़े लीडरो आप आन्दोलन की तैयारी करो
भारत की आर्थिक आज़ादी का अभियान के नारे देने वाले लीडर्स व् उनके सहयोगी,उन पर आश्रित माता-पिता बीवी-बच्चे तथा अन्य लोग जो RCM के बिज़नस पर आधारित ह यदि ये लोग एक डेट निश्चित करके इकट्टे हो जाए तो शायद भारत में कोई एसा स्थान नहीं जहा ये सब लोग इकट्टे हो सके और अपनी शक्ति का पर्दर्शन कर सके अन्ना जी के लिए तो रामलीला का मैदान ही काफी था लेकिन जब-जब RCM की अनिवेर्सरी मनाई गयी तब-तब RCM TIMES में लिखा गया की भारत में एसा कोई स्थान नहीं जहा RCM के मतवालों को बुलाया जा सके लेकिन आज कहा ह वो लोग........ जब RCM को इस दशा से गुज़ारना पड़ रहा ह.....
भले ही मेरे उम्र 11 साल की ह पर आज हमारे इलाके में RCM के नाम पर क्या-क्या सोच रहे ह हमे अब प्रशाशन को यह दिखा देना चाहिए की RCM में कितनी जन शक्ति ह शायद अब समय की यही पुकार ह हाथ पे हाथ रखकर घर बेठे कुछ होने वाला नहीं ह अब सब्र का बांध टूट चूका ह इसलिए RCM पर आश्रित सभी बच्चे आगे आये क्योकि हमारे घर में रोयल्टी भी तभी आयगी बड़े लीडरो आप आन्दोलन की तयारी करो हम सभी देश के बच्चे आपके साथ ह और हम जय RCM को विजय RCM बना के रहेंगे.
हैप्पी गर्ग
पलवल,हरियाणा
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RCM News:
राजस्थान सरकार की सदबुद्धि के लिए हवन
जमशेदपुर: मल्टी लेवल मार्केटिंग आरसीएम के उपभोक्ता अपनी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं होने के बाद आरपार की लड़ाई के मूड में हैं। रविवार को तीन दिवसीय धरना समाप्त होने के बाद अब वे सोमवार से उपायुक्त कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठेंगे। इस संबंध में आरसीएम कंज्यूमर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्मेद्र कुमार ने कहा कि धरना पर बैठने के बाद भी उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिला।
तीसरे दिन अपराह्न तीन से पांच बजे तक राजस्थान सरकार की सदबुद्धि के लिए हवन करने के बाद धरना समाप्त कर दिया गया। इसके बाद वे धालभूम अनुमंडल पदाधिकारी के गोपनीय कार्यालय में सोमवार से अनशन पर बैठने की सूचना दे दी है। सरकार की ओर से मांगे माने जाने तक आरसीएम उपभोक्ताओं का अनशन जारी रहेगा। राजस्थान सरकार की ओर से आरसीएम कार्यालय व फैक्ट्री सील कर दिए जाने के बाद से देशभर के लाखों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है।
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RCM Update: मैंने आरसीएम का समर्थन क्यों किया ?
भंवर मेघवंशी
मुझसे यह सवाल बार-बार पूछा गया कि मैंने आरसीएम का समर्थन क्यों किया? इसके पीछे क्या राज है? शुरू-शुरू में मैंने कई लोगों को जवाब दिए मगर फिर लगा कि मैं इस बारे में सार्वजनिक रूप से अपना जवाब दूं। मुझे यह भी लगा कि मुझे अपनी पोजीशन स्पष्ट करनी चाहिए कि मैं इस मामले में कहां पर खड़ा हूं तथा मेरा सोच क्या है? इससे पहले मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं किसी भी कंपनी अथवा कारपोरेट घराने का समर्थक नहीं हूं।
अमीरी की चकाचोंध मुझे प्रभावित नहीं करती है, मैं एक छोटे से गांव का निवासी हूं, किसान का बेटा हूं। पहले कभी शिक्षक था, मुख्यधारा की पत्रकारिता में रहा, छात्र राजनीति में भी दखल रखा, मेनस्ट्रीम पोलिटिक्स को भी नजदीक से देखा, समझा और तय किया कि मैं सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपना जीवन जीऊं, इस चयन से मुझे परम संतुष्टि मिली और वह संतोष आज भी है। आज भी सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर पढ़ना, लिखना और काम करना मुझे अच्छा लगता है और संतुष्टि देता है, मगर समाज और व्यवस्था में कहीं भी अन्याय, अत्याचार व उत्पीड़न देखता हूं तो बोलता हूं क्योंकि अभिव्यक्ति की आजादी है और मैं सहन करने वालों में से नहीं हूं, प्रसिद्ध शायर फैज अहमद फैज की इस पंक्ति में मेरा पूरा यकीन है-बोल कि लब आजाद है तेरे...।
मेरी मान्यताएं, मेरे सामाजिक सरोकार, राजनीतिक प्रतिबद्धताएं और आर्थिक सामाजिक ढांचे पर विचार बहुत स्पष्ट है, जिन्हें मैंने कभी छिपाया नहीं, जिसकी वजह से कई बार नुकसान भी उठाना पड़ा, मगर जो भी कीमत चुकानी पड़ी, मैंने अपने विचारों को हर हाल में अभिव्यक्त किया तथा उससे होने वाली प्रतिक्रियाओं को भी झेला। मेरे निकट के मित्र यह अच्छी तरह से जानते है कि मैं भारतीय संविधान, न्यायिक प्रणाली, कार्यपालिका, अभिव्यक्ति की आजादी, मानवाधिकार तथा संसदीय सेकुलर डेमोक्रेसी का घनघोर समर्थक हूं तथा लोगों के गरिमापूर्ण जीविका कमाने के नैसर्गिक अधिकार का समर्थन करता हूं। भीलवाड़ा की प्रत्यक्ष व्यापार प्रणाली की बिजनेस कंपनी आरसीएम के बारे में मैंने अपनी पहली राय दिसम्बर 2011 में उस वक्त सार्वजनिक की, जब पुलिस ने अचानक उसके मुख्यालय को कब्जे में ले लिया तथा सभी उत्पादन इकाईयों को ठप्प कर दिया, सर्वर बंद कर दिया और व्यापार करने पर रोक लगा दी, जिसके परिणाम स्वरूप देशभर में फैले उसके लगभग चार हजार रिटेल शाप बंद हो गए, हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए, हजारों मजदूरों को इससे नुकसान उठाना पड़ा तथा आरसीएम के 1 करोड़ 33 लाख उपभोक्ता सीधे तौर पर इसकी चपेट में आ गए।
मेरे देखे किसी भी व्यावसायिक कंपनी पर कार्यवाही से प्रभावित होने वाले इतनी बड़ी संख्या के भारतीयों के नागरिक अधिकारों के लिए बात उठाना कोई गुनाह नहीं है, अगर 10 वर्षों से एक व्यवसाय संचालित था, जो कि भूमिगत तो कतई नहीं था, उसका कई एकड़ में फैला हुआ मुख्यालय है, उसकी बसें चलती है, उसके लोग आरसीएम के कपड़े पहन कर घूमते है, उससे जुड़े लोग उसी के उत्पादों का उपयोग करते है तो यह कोई गोपनीय कार्य तो नहीं ही था, दर्जनों बैंकों में उसके खाते थे, इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स, एक्साइज, कस्टम आदि-इत्यादि कितने ही सरकारी विभागों ने उन्हें व्यापार करने की स्वीकृति दी और प्रतिमाह करोड़ों रुपए टैक्स के रूप में वसूलते रहे, उसके सालाना जलसों की सुरक्षा भीलवाड़ा की पुलिस करती रही, सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, फिर अचानक पुलिस, प्रशासन व सत्ता में बैठे लोगों को यह ‘आत्मज्ञान’ कैसे हुआ कि आरसीएम ठगी कर रही है तथा इसने करोड़ों लोगों को ठग कर हजारों करोड़ रुपए इकट्ठा कर लिए है।
मेरा सवाल हमारी व्यवस्था की जवाबदेही को लेकर था कि अगर यह ठगी थी तो इसमें शामिल सभी केंद्र व राज्य सरकार के विभागों के कर्मचारी अधिकारी भी सह अभियुक्त बनाए जाने चाहिए, क्योंकि इसे करने में तो सबका भारी सहयोग आरसीएम को मिला ही है, मगर हम देख रहे है कि यह कार्यवाही एकतरफा थी और अब तक भी है। फिर मेरे मन में यह सवाल भी रहा कि भीलवाड़ा पुलिस ने आरसीएम के किस उपभोक्ता की शिकायत पर यह प्राथमिकी दर्ज की, मैंने एफआईआर पढ़ी, वह प्रारंभ होती है- ‘‘एक मुखबिर से खबर मिली।’’ हमीरगढ़ थाना आरसीएम मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर दूर, 10 साल से करोड़ों की ठगी का काम जारी और 11वें साल में पुलिस को ‘एक मुखबिर’ से सूचना मिलती है! हमारी पुलिस का सूचना तंत्र कितना तेज है और उसके मुखबिर कितने एफिशियेंट है?
मैंने यही सवाल उठाया कि एक दशक तक प्रशासन, पुलिस, मीडिया और जागरूक नागरिक नींद में कैसे सोते रहे? किसी ने भी शिकायत क्यों नहीं की, इससे पहले पुलिस ने कार्यवाही क्यों नहीं की? क्या यह सवाल उठाना गुनाह है? मेरे तो मन में सवाल उठा और मैंने अपनी ओर से पूछने में कोई कंजूसी नहीं की। मैंने यह कहकर पुलिस कार्यवाही का विरोध किया कि यह सत्ता की शक्ति का दुरुपयोग है तथा नागरिकों के शांतिपूर्ण रोजगार कमाने के संवैधानिक अधिकार पर राजसत्ता का हमला है। इसी सिलसिले में मैंने यह सवाल भी उठाया कि आरसीएम दस वर्षों से सही कैसे थी और फिर अचानक गलत कैसे हो गई है? इतने बरसों तक कैसे सोते रहे कानून के रखवाले? फिर यकायक जागे तो बिना प्रक्रियाओं का पालन किए ही एक बिजनेस हाउस पर ऐसी चढ़ाई कर दी जैसे किसी आतंकी संगठन के मुख्यालय पर की जाती है। यह निश्चित रूप से शर्मनाक बात थी, जिस पर बात की जानी चाहिए थी। आज नहीं तो कल यह सच भी सामने आएगा कि कौन गलत है और कौन सही है?
मैं अपनी बात पर कायम हूं कि पुलिस अपने अधिकारों का अक्सर दुरुपयोग करती है तथा गलत को सही और सही को गलत साबित कर देती है। हमारे सामने सैकड़ों उदाहरण है जहां पर पुलिस ने अपने असीमित अधिकारों का उपयोग करके सामान्य नागरिकों को दुर्दान्त अपराधी बताकर फर्जी मुठभेड़ों में मारा है, इसलिए मुझे पुलिस द्वारा रची गई हर कहानी में सत्य नहीं दिखता है, फिर भी उसकी कार्यवाही हमारी व्यवस्था की एक प्रक्रिया है, जिसकी हम आलोचना तो करते है मगर विरोध नहीं करते है।
मुझे लगता है कि हम विदेशी बाजार को आमंत्रित कर रहे है कि वह भारत में रिटेल में एफडीआई लाए तथा वालमार्ट जैसी रिटेल श्रृंखला देश में फैले, इसके लिए उच्च स्तरीय कोशिशें हो रही है, लेकिन स्वदेशी रिटेल श्रृंखलाओं को हम नष्ट कर रहे है, क्या इसे राष्ट्रीय क्षति नहीं माना जाना चाहिए इसलिए मैंने कहा कि इस कार्यवाही ने करोड़ों नागरिकों का अहित किया है तथा इसका आकलन करने की जरूरत है कि इसने हमारे देश का कितना बड़ा नुकसान किया है। मेरे विचारों का लब्बोलुआब कुल जमा इतना ही था, मगर इस प्रकार के पूंजी समर्थक विचारों के लिए मेरी अच्छी खासी आलोचना की गई, निंदा की गई और मुझे धिक्कारा गया, मुझसे स्पष्टीकरण मांगे गए, मुझसे पूछा गया कि मैंने एक कारपोरेट कंपनी के पक्ष में क्यों बोला? यह भी कहा गया कि मुझे चिटफण्डियों, ठगों और चोरों के पक्ष में खड़े होने की जरूरत क्या थी?
मैं अपनी सफाई में सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि मैं कंपनियों का नहीं मानवों के अधिकारों का समर्थक हूं, यहां भी मैं उन हजारों मजदूरों व करोड़ों संतुष्ट उपभोक्ताओं के अधिकारों की ही बात कर रहा हूं जिन्हें आरसीएम से कोई शिकायत नहीं थी, अब यह अलहदा बात है कि पुलिस के प्रयासों से कुछ लोगों ने ठगी के मुकदमे दर्ज करवाए है, जिन पर अनुसंधान जारी है तथा आरसीएम प्रमुख त्रिलोकचंद छाबड़ा व उनके भाई तथा पुत्र सहित अन्य चार कर्मचारी गिरफ्तार है तथा जेल में है। चूंकि पूरे मसले पर पुलिस अनुसंधान जारी है तथा भीलवाड़ा से लेकर जोधपुर तक माननीय न्यायालयों में आरसीएम के पक्ष विपक्ष में मामले विचारधीन है इसलिए मैं किसी भी मामले के गुणावगुण पर किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं, मैं पुलिस कार्यवाही, मीडिया ट्रायल तथा न्यायिक प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप का समर्थक नहीं हूं।
मेरा मानना है कि आरसीएम के संचालकों को अपने पर लगे एक-एक आरोप का जवाब देना होगा, उन्हें साबित करना होगा कि वे चिटफंड व मनी सर्कुलेशन बैनिंग एक्ट के दायरे में नहीं आते है, उन्हें देश को विश्वास दिलाना होगा तथा यह साबित करना होगा कि वे उत्पाद आधारित प्रत्यक्ष व्यापार प्रणाली का व्यवसाय चला रहे है जो विश्व स्तर पर मान्यता रखता है। उन्हें ही अपनी व्यवसाय प्रोत्साहन योजना के पिरामिड या चैन नहीं होने को भी प्रमाणित करना है। आरसीएम के प्रोडक्ट की क्वालिटी तथा उनकी कीमतों की तर्कसंगतता भी उन्हीं को साबित करनी है। इस कानूनी लड़ाई को भी खुद उन्हीं ही लड़ना है तथा यह साबित करना है कि उन्होंने गलत किया अथवा सही, यह उनकी जिम्मेदारी व जवाबदेही है, जो लोग इतना बड़ा व्यावसायिक साम्राज्य खड़ा करने के कर्णधार है, अपने को पाक साफ साबित करने के भी वही जिम्मेदार है, और वे इस कानूनी लड़ाई को विभिन्न मोर्चा पर लड़ते हुए नजर भी आ रहे है।
लेकिन मैं सोचता हूं कि सेठ लोग तो अपनी लड़ाई लड़ लेंगे, कंपनी चले या न चले उनका क्या बिगड़ जाएगा? यहां बेरोजगार तो गरीब हुए है, रोटी की चिंता तो उन करोड़ों उपभोक्ताओं को सता रही है जिनके पेट खाली है, इसलिए मैंने पहले भी कहा और फिर से कहना चाहता हूं कि मेरी चिंता का विषय न तो आरसीएम कंपनी है और न ही उसके करोड़पति संचालक। मेरी चिंता, सरोकार और प्रतिबद्धता तो उन हजारों श्रमिकों व कर्मचारियों को लेकर है जो विभिन्न प्रोडक्शन यूनिटों में काम कर रहे थे और आज तीन महीनों से उनके चूल्हों की आग ठंडी पड़ती जा रही है। मुझे चिंता देशभर में फैले उन करोड़ों उपभोक्ताओं के करोड़ो करोड़ हाथों की है जो आजीविका के अभाव में बेकार है तथा कभी भी अपराध के रास्तों पर बढ़ सकते है।
जो लोग गिरफ्तार है, जिनके मामले अदालत में है, उन्हें भारतीय न्यायपालिका में यकीन रखना होगा, देर से ही सही, इंसाफ वहीं से मिलेगा और यह भी कि अगर उन्होंने कानून की नजर में कुछ भी गलत किया है तथा उनका कोई भी कृत्य कानून की दृष्टि में सही नहीं पाया गया तो वे अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकते है, बचने भी नहीं चाहिए। अगर आरसीएम के गोदामों में पाया गया गेहूं (जैसा कि पुलिस का दावा है) देश के गरीबों में बंटने वाला एफसीआई का गेहूं था तो उसके दाने-दाने का हम हिसाब चाहेंगे और उसके लिए जो भी कठोरतम सजा हो सकती है, वह इसके लिए जिम्मेदार लोगों को दी जाए, ऐसा भी हम चाहेंगे। कई बार आपके खिलाफ की गई कार्यवाही आपकी व्यवस्था में मौजूद खामियों व विसंगतियों को सुधारने में सहायक हो सकती है। आरसीएम से जुड़े लोगों को इस मौके का इसी रूप में सदुपयोग करना चाहिए।
मगर फिर से मेरे मन में यह सवाल है कि उन करोड़ों उपभोक्ताओं का इसमें क्या दोष है? जो संतुष्ट है और जिन्होंने कोई शिकायत भी नहीं की है, उनके भी तो कोई अधिकार है? जिन श्रमिकों, कर्मचारियों, व्यापारियों व उपभोक्ताओं के करोड़ों रुपए इस पुलिस कार्यवाही के चलते विगत तीन माह से अटके हुए है, उन्हें तो वह मिले, ऐसी व्यवस्था तो शासन-प्रशासन को करनी ही चाहिए, ऐसी मेरी मान्यता है।
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में खाकी वर्दी को अंग्रेजों के वक्त से नागरिकों को कुचलने के लिए दिए हुए असीमित अधिकारों में कटौती की जरूरत है। पुलिस जिसे चाहे उसे तबाह कर सकती है, उसकी जवाबदेही और न्यायोचितता पर सवाल खड़ा करना आफत मोल लेने जैसा है, इसलिए देश में पुलिस सुधार की सख्त जरूरत मुझे महसूस होती है।
मैंने आरसीएम का समर्थन क्यों किया? इस सवाल के जवाब में सैकड़ों और सवाल उभरते है जिनसे मैं जूझते रहता हूं कि देश के कोने-कोने में हो रही मोटीवेशनल सेमीनार्स क्यों प्रतिबंधित नहीं की जा रही है? क्यों डायरेक्ट मार्केटिंग सिखाने वाले स्कूल्स और इंस्टीट्यूशन्स चलने दिए जा रहे है, हमारे मंत्रीगण यह क्यों कहते है कि प्रत्यक्ष व्यापार प्रणाली में करोड़ों लोगों को रोजगार मिलने की अपार संभावनाएं है? यह कैसा पाखंड है कि कोई दुकानदार एक के साथ एक फ्री बेच रहा है तो जायज, बैंक और बीमा कंपनियां आकर्षक आर्थिक लाभ के विज्ञापन कर रहे है, सरकारी दफ्तरों से सरकारी योजनाओं को पोपुलर करने के लिए ड्रा निकाले जा रहे है।
अवैध खनन जायज है, सरकारें शराब के ठेके नीलाम कर रही है, माफिया राजनीति को नियंत्रित कर रहे है, विदेशी चंदे से समाज सेवा का गोरखधंधा पनप रहा है और सेठ-साहूकारों के अवार्ड लेकर भ्रष्ट लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चे निकाल रहे है, मगर एक आर्थिक अभियान जिसने छोटे-बड़े, गरीब-अमीर, जात-पांत, धर्म, भाषा, प्रांत और संप्रदाय व लैंगिक भेद की सीमाओं के परे जा कर बेहतर भारत की कल्पना की है, उनके लिए जेल की सलाखें उपहार में दी गई है, इस कृतध्नता पर क्या कहा जाए? कई बार सोचता हूं कि हम अजमल कसाब जैसे आतंककारी को तो अभेद्य सुरक्षा में रखकर बिरियानी खिला रहे है। प्रवासियों को अपने मुल्क में बुला रहे है, निवेश के लिए उन्हें लुभा रहे है और जो निवेश करके करोड़ों रुपए का राजस्व दे रहे है उन्हें भगा रहे है, गिरफ्तार कर रहे है, जेलों में सड़ा रहे है, यह कैसा विधान है? प्रवासियों से प्यार और अपनों को दुतकार!
इस देश में दारू की दुकानें तो खुलेआम सड़क-सड़क हर गांव गली शहर नगर मोहल्ले में खोली जा सकती है, शराब बेचो, कोई दिक्कत नहीं, अफीम के डोडे बेचो, सरहद के पास की जमीनें बेचो, 2 जी बेचो, जिस्म बेचो, मौका मिले तो मुल्क ही बेच दो, कोई पाबंदी नहीं, कोई रोकने-टोकन वाला नहीं है, मगर किसी कंपनी के प्रोडक्ट मत बेचो वह भी भारतीय कंपनी, लेकिन वह नहीं चल सकती है, क्योंकि चंद लोग नहीं चाहते है, भले ही करोड़ों लोग चाहे।
अगर डायरेक्ट मार्केटिंग बिजनेस सिस्टम गैर कानूनी है, फ्राड है, चिटफण्ड है तो फिर सैकड़ों की तादाद में हिंदी, अंग्रेजी व अन्य जन भाषाओं में इस विषय पर प्रकाशित की गई किताबें क्यों मार्केट में बिकने दी जा रही है, इनके लेखकों, मुद्रकों व प्रकाशकों को क्यों गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है?
और तो और अमेरिकन कंपनी ‘एमवे’ भारत में चल सकती है, आरसीएम के खिलाफ कार्यवाही होने के बाद आरसीएम जैसी ही ‘एनमार्ट’ नामक प्रोडक्ट बेस्ड डायरेक्ट सेलिंग कंपनी का भीलवाड़ा में स्टोर खुला, और भी कई सारी उत्पाद आधारित कंपनियां वैसे ही चल रही है, किसी से कोई दिक्कत नहीं है। सिर्फ और सिर्फ आरसीएम ही टारगेट पर क्यों है, निशाना साफ है, मकसद साफ है, आरसीएम को मिटा देना है ताकि देशी रिटेल को खत्म किया जा सके और एफडीआई के तहत विदेशी रिटेलरों को लाया जा सके, कितना शर्मनाक सच है यह?
क्या यह चिंता का विषय नहीं है कि जिन उत्पादन इकाईयों को बंद किया गया है, उससे कितनी हानि हुई है, क्या यह तौर-तरीके हमारे विकास, हमारी तरक्की को बाधित नहीं करते है? पर कौन सुने? राजनीति, प्रशासन, पुलिस और मीडिया तो आरसीएम का नाम लेते ही भड़क जाते है, जैसे कि कोई प्रतिबंधित संगठन है, हम जैसे लोग अपने लब खोलते है, बोलते है तो हम भी बहिष्कार का शिकार हो जाते है, मगर कुछ भी हो मैं आरसीएम के आम उपभोक्ता के पक्ष में हूं, मेरा मानना है कि भारत में डायरेक्ट मार्केटिंग सिस्टम के लिए अगर कोई कानून नहीं है, नियामक प्राधिकरण नहीं है तो यह भूल आम उपभोक्ता की नहीं है, यह जनप्रतिनिधियों का काम है कि वे प्रत्यक्ष व्यापार प्रणाली पर अंकुश व नियंत्रण के लिए एक राष्ट्रीय अधिनियम संसद के बजट सत्र में लाए, जब तक कानून नहीं बने तब तक अध्यादेश लाकर एक स्पष्ट गाइडलाइन लागू की जाए ताकि देश भर में करोड़ों लोग इसमें रोजगार के अपने नैसर्गिक अधिकारों की पुर्नप्राप्ति कर सके।
जो भी फर्जी कंपनियां है, लोगों को लूटती है, पिरामिड या मनी सर्कुलेशन चिटफण्ड स्कीमें चलाती है, उनके खिलाफ बेशक कार्यवाही की जाए, उन्हें कड़ी सजा मिले हम इसके पक्षधर है, मगर सही और गलत में फर्क कीजिए, अन्यथा देश में आर्थिक अराजकता का माहौल बनेगा जिसकी जिम्मेदारी से हम बच नहीं सकते है।
मेरा आरसीएम के आम उपभोक्ताओं से कहना है कि वे कंपनी, उसके संचालकों और अपने लीडरों की तरफ मदद की उम्मीद में देखना बंद करें, क्योंकि वे इस वक्त क्या मदद करेंगे? उन्हें तो खुद मदद चाहिए। मैं यहां तक कहना चाहता हूं कि उनकी तरफदारी भी बंद कर दें, केवल अपने अधिकारों के लिए खुलकर संघर्ष करें, आपका अटका हुआ पैसा आपका अधिकार है, आपकी पसंद का उत्पाद खरीदना आपका अधिकार है, शांतिपूर्ण व गरिमापूर्ण तरीके से रोजगार करना आपका अधिकार है, अगर इन अधिकारों को कोई बाधित करता है तो बोलना और संगठित होना आपका संविधान प्रदत्त हक है, अहिंसक संघर्ष करना और अपनी बात, अपना पक्ष जोरदार तरीके से शासन, प्रशासन तथा न्याय पालिका और खबर पालिका तक पहुंचाना आपका लोकतांत्रिक अधिकार है, इसे कोई नहीं छीन सकता है। डरिए मत, अपनी आवाज को बुलंद कीजिए, अपना पक्ष मुल्क के सामने रखिए, आखिर तो जीत सत्य की ही होगी।
अंत में साहिर लुधियानवी के शब्द -
न मुंह छिपा कर जीये हम, न सिर झुका कर जिये
सितमगरों की नजर से, नजर मिलाकर जिये
अब इक रात अगर कम जीये तो कम ही सही
यही बहुत है कि मशालें जलाकर जीये।
सितमगरों की नजर से, नजर मिलाकर जिये
अब इक रात अगर कम जीये तो कम ही सही
यही बहुत है कि मशालें जलाकर जीये।
- भंवर मेघवंशी(लेखक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता है)___________________________________________________________________
RCM News: तिलोकचंद छाबड़ा फिर रिमाण्ड पर
आसीएम ग्रुप के तीनों संचालकों की रिमाण्ड अवधि समाप्त होने पर उन्हें शुक्रवार दोपहर बाद अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चन्द्रप्रकाश सिंह की अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने अभियुक्तों को पूछताछ के लिए दोबारा रिमाण्ड पर सौंपने का प्रार्थना पत्र पेश किया। न्यायालय ने इस पर सुनवाई करते हुए तीनों अभियुक्तों को 21 फरवरी तक रिमाण्ड पर सौंप दिया।
इस दौरान न्यायालय में कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक राजेन्द्रसिंह चौधरी, पुलिस उप अधीक्षक रामकुंवार कस्वां, सुभाषनगर थाना प्रभारी अभय शर्मा व हमीरगढ़ थानाप्रभारी हेमराज चौधरी आदि मौजूद थे। इससे पूर्व पुलिस ने अभियुक्त तिलोक छाबड़ा की मौजूदगी में पुर रोड स्थित ऎक्सिस बैंक में लॉकर खोला। पुलिस उप अधीक्षक कस्वां ने बताया कि लॉकर में चालीस तौला सोने के जेवरात मिले हैं।
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RCM News: त्रिलोक छाबड़ा ने पुलिस को बताये साथियों के नाम
भीलवाड़ा। पुलिस शिकंजे में आए आरसीएम संचालक त्रिलोक छाबड़ा ने अपनी करतूतों का काला चिट्ठा खोलते हुए मंगलवार को राजदारों का नाम उगल दिया। लेकिन छाबड़ा बंधुओं के पकड़े जाने के बाद से ही इनमें से आधा दर्जन लोग भूमिगत हो गए हैं। पुलिस उनको पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया है। इनमें एक होटल मालिक की भी पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है।
कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक राजेन्द्रसिंह ने बताया कि चार दिन के रिमांड पर चल रहे त्रिलोकचन्द छाबड़ा, उनके भाई भागचन्द और पुत्र सौरभ से दिनभर कड़ाई से पूछताछ हुई। छाबड़ा बंधुओं की एक्सेस बैंक में ढाई सौ करोड़ की एफडी होने का खुलासा हुआ है। इसी बैंक में उनका लॉकर है, जिसे संभवतया बुधवार को खोला जा सकता है।
आशंका है कि छाबड़ा बंधुओं के शहर के कई और बैंकों में खाते और एफडी हैं। इसे देखते हुए सभी बैंक प्रबंधकों को पत्र लिखकर जानकारी मांगी गई है। उधर, छाबड़ा बंधुओं के खिलाफ हाल ही 6 फरवरी को जयपुर जिले के चौमू थाने में धोखाधड़ी के आधा दर्जन मामले दर्ज हुए हैं। भीलवाड़ा पुलिस इसकी जानकारी मंगा रही है।
करोड़ों का टर्न ओवर, ऋण पर बांटा धन
आरसीएम संचालकों ने सुई से लेकर कम्प्यूटर, लैपटॉप और खाद्य वस्तुओं के अतिरिक्त दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं का विक्रय ही नहीं किया बल्कि कई का उत्पादन भी किया। इससे होने वाली करोड़ों की आय को भीलवाड़ा के कई बड़े औद्योगिक घरानों को ऋण के रूप में दिया। इसकी भी सूची खंगाली जा रही है।
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RCM Business की संपत्ति 150 करोड़ से भी ज्यादा
जयपुर। करीब दो महीनों से राज्य भर में आरसीएम निदेशकों की तलाश कर रही भीलवाड़ा पुलिस को रविवार दोपहर सफलता मिली। आरसीएम के निदेशकों को भीलवाड़ा पुलिस ने रविवार को जोधुपर से गिरफ्तार किया। भीलवाड़ा में स्थित आरसीएम के हेड ऑफिस से पुलिस को देश भर में करीब एक करोड़ पच्चीस लाख से भी ज्यादा मेम्बरों के बारे में जानकारी मिली है।
आरसीएम के देश भर में करीब 40 खाते हैं जो 15 से भी ज्यादा बैकों और उनकी शाखाओं में खुले हुए हैं। पुलिस ने बीते दो महीनों में इन तमाम खातों को सीज कर दिया है। इन खातों से पुलिस को 72 करोड़ से भी ज्यादा का कैश बरामद हुआ है। साथ ही 450 से भी ज्यादा आवासीय भवनों और 40 से भी ज्यादा व्यावसायिक भवनों के दस्तावेज मिले हैं। कैश और भवनों की रकम मिलाकर करीब 150 करोड़ से भी ज्यादा आंका जा रहा है।
हर जिले में खाते और ऑफिस
पुलिस के अनुसार छाबड़ा बंधुओं ने करीब बारह साल पहले भीलवाड़ा में ही कपड़ा व्यापार शुरू किया था। इसके बाद से ही भाजपा के एक पूर्व विधायक की मदद से छाबड़ा बंधुओं ने मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी खोल डाली। अपनी कपड़े की फर्म से तीन से चार सौ रूपयों का कपड़ा मेंबरों को करीब पंद्रह सौ रूपए में दिया जाने लगा और साथ ही कुछ महीनों के बीमा भी दिया जाने लगा। पिछले कुछ सालों में कंपनी का काम तेजी से बढ़ा। बाद में पिछले महीनों जब एमएलएम कंपनियों के खिलाफ ठगी के मामले राज्य भर के थानों में दर्ज होने लगे तो आरसीएम का भी तिलस्म टूट गया। गौरतलब है कि कंपनी के अन्य डायरेक्टर सीमा छाबड़ा, इंद्रा छाबड़ा, प्रियंका छाबड़ा और कैलाश छाबड़ा की तलाश में पुलिस की टीमें राज्य भर में लगी हुई हैं।
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RCM News: सर्वर में अटकी जांच
जालोर। मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी आरसीएम के पिकअप सेंटरों पर पुलिस छापे के बाद आगे की कार्रवाई कंपनी का सर्वर डाउन होने से अटक गई है। आरसीएम में ग्राहकों को जोड़ने के बाद उनका ऑनलाइन रिकॉर्ड भी रखा जाता है। जिसका सर्वर कंपनी ने छापे की कार्रवाई के बाद बंद कर दिया है।
प्रदेश में विभिन्न मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनियों में हुए ठगी के मामलों के बाद संदेह के घेरे में आई भीलवाड़ा की आरसीएम कंपनी के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के बाद जांच की जा रही है। जालोर जिला पुलिस ने जयपुर मुख्यालय के निर्देश पर यहां स्थित आरसीएम के पिकअप सेंटरों में जांच कर संचालकों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। पुलिस ने जालोर व सायला में सेंटर संचालकों से पुलिस ने पूछताछ कर सेंटर पर बेचे जा रहे सामान की सूची बनाई है।
मामला दर्ज
पुलिस ने आरसीएम पिकअप सेंटर संचालकों के खिलाफ गुरूवार को मामला दर्ज कर किया। पुलिस ने बताया कि जालोर सेंटर संचालक अमर चौधरी व सायला मे सेंटर संचालन करने वाले गौरीशंकर माली के खिलाफ मामला दर्ज क गिरफ्तार किया है। पुलिस ने दोनों को न्यायालय में पेश किया। जहां से उन्हे एक दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया।
इनका कहना है...
जिले में आरसीएम सेंटरों के पर कार्रवाई के बाद संचालकों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। पीएसीएल के निवेशकों की कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि पुलिस मुख्यालय से कोई सूची मिलेगी तो पीएसीएल के बारे में जांच की जाएगी।
-राहुल बारहट, पुलिस अधीक्षक, जालोर
सर्वर डाउन होने से पूरी जानकारी नहीं मिल पा रही है। आरोपी को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है।
-अन्नराज राजपुरोहित, थानाधिकारी, जालोर
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